काटे नहीं कटते लम्हे इंतज़ार के,
नजरें बिछाए बैठे हैं रस्ते पे यार के,
दिल ने कहा देखे जो जलवे हुस्न-ए-यार के,
लाया है उन्हें कौन फलक से उतार के।
दिल से हमे भुला ओगे कैसे,
हम वो खुशबू हैं जो साँसों में बसते हैं,
ख़ुद की साँसों को रोक पाओगे कैसे.
काटे नहीं कटते लम्हे इंतज़ार के,
नजरें बिछाए बैठे हैं रस्ते पे यार के,
दिल ने कहा देखे जो जलवे हुस्न-ए-यार के,
लाया है उन्हें कौन फलक से उतार के।
दिल से हमे भुला ओगे कैसे,
हम वो खुशबू हैं जो साँसों में बसते हैं,
ख़ुद की साँसों को रोक पाओगे कैसे.